।। सीख।।
।। सीख।।
मंजिल तक जो राह नहीं,
उस रास्ते को छोड़ा हमने।
नहीं थी जिन फूलों में खुशबू,
उन फूलों को तोड़ा हमने।
नदियों के बहते जल से,
निरंतर चलना सीखा हमने।
नियत समय सूरज के आने जाने से,
समय से चलना सीखा हमने।
खिल हुई फूलों कि कलियों से,
खुल कर मुस्काना सीखा हमने।
फूलों पर इतराती तितली से,
प्यार जताना सीखा हमने।
लेकर खुशबू बहती बयार से,
खुशबू बिखराना सीखा हमने।
बादल से गिरती बूंदों से,
साहस से चलना सीखा हमने।
हम दृण संकल्प पर्वत सा मेरा,
कभी नहीं रास्ते से डिगते।
चाहे कितने कठिन हों रास्ते,
कभी न चलने से हम डरते।