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Vijay Kumar parashar "साखी"

Others

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Vijay Kumar parashar "साखी"

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"सीधा सादा"

"सीधा सादा"

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जो होता इस दुनिया मे सीधा साधा है।

लोग उसको समझते बेवकूफ ज़्यादा है।।

भोले मनु को सब सताते बहुत ज़्यादा है।

जैसे उसने लूटा सबका सुकूँन आधा है।।


क्या यही इस स्वार्थी दुनिया का वादा है।?

सीधे व्यक्ति की लेंगे,बलि रोज ज्यादा है।।

कामचोर को मारेंगे नही,कभी तमाचा है।

क्योंकि वो तो लगता उनका बाप-दादा है।।


दबाएंगे,काम करवाएंगे उससे ज्यादा है।

जो,इस ज़माने में भोलेपन की राधा है।।

संकट रहे,उस पर सदा ताजा-ताजा है।

जो ईमानदारी से कार्य करता ज्यादा है।।


बेईमानों ने लूटा है,हर घर का आटा है।

ओर चापलूसों ने किया बड़ा तमाशा है।।

जैसे उन्होंने पहना,ईमानदारी साफा है।

सीधे लोगों को समझते,मूर्ख ज्यादा है।।


कितना सताये,पर टिकता वो ही राजा है।

जिसने सत्य,सादगी का पहना जामा है।।

मिट जाते,तम के सब जीव नर,मादा है।

जब सामने आता व्यक्ति सीधासादा है।।


उनके मुंह पर लग जाता,एकदम ताला है।

जब सीधासाधा अपनी पर होता आमादा है।।

फ़िर,होशियार लोगो के घर,पड़ता डाका है।

जब भोला मनु खोले तीजे नेत्र का ताला है।।


सीधे लोगो को मूर्ख नही समझो ज्यादा है।

इनके कारण ही टिका हुआ,विश्व आधा है।।

रब दिखावेवाले को न देता महत्व ज्यादा है।

ईश्वर तो साफ हृदय में ही टिकट ज्यादा है।।


वो बन सकता,जग शूलों में फूल लहराता है।

जो सादगी कायम रखने का रखता माद्दा है।।

बाकी हर व्यक्ति जग मे साफ-सुथरा आता है।

ये बात ओर,हम तोड़ते मासूमियत से नाता है।।


बचके रह उनसे,जो बोलते मीठे ज्यादा है।

वो तन-मन दोनो शुगर में करते इजाफा है

जो कड़वा बोले,बोले सत्य सदा सादा है।

उनके पास रह,वो मिटाएंगे जीवन बाधा है।।


वो ही लगाते,अपने जीवन मे सही मात्रा है।।

जो यहां रखते साफ,सादे,मन का इरादा है।।

वो दीपक जैसे,खत्म करते तम सन्नाटा है।

जो रखते साफ,सीधा मन बहुत ज्यादा है।।


बोलता साखी सदा सच बात का एकतारा है।

सीधेपन में समाया है,कायनात नूर सारा है।।

भोले,सीधे हृदय सच मे काशी और काबा है।

बाकी चिकनी-चुपड़ी बातों के इस्तगासा है।।



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