सिगरेट सी ज़िन्दगी
सिगरेट सी ज़िन्दगी
दो अनजाने कुछ यूँ मिले
प्यार बढ़ा परिवार बड़ा
खुशियां ही खुशियां बरसीं
जब सपनों का संसार सजा
एक दूजे के लिए बन दर्पण
सुख दुःख में करते रहे समर्पण
ना जाने कैसी लगी ज़िन्दगी को नज़र
हँसते खेलते परिवार पर हुआ ये असर
दो भागों में बँट गया...प्यारा घर संसार
सिगरेट सी ज़िन्दगी हुई फ़ना होता सफर
प्रेम मोह...आकर क्रोध धो गया
बच्चों का बचपन कहीं खो गया
थोड़ा सम्भालो खुद को वरना
बिखर जाते हैं आसानी से परिवार
कौन जाने क्या रंग लाये
ये बढ़ती आपसी तकरार