शतरंज सी जिंदगी
शतरंज सी जिंदगी
गुड्डे, गुड़ियों के खूबसूरत खेल जैसी
भरम सी है ये जिन्दगी
हकीकत में तो जनाब
जालिम शतरंज सी है ये जिन्दगी
हाँ फर्क बस इतना है
हाँ फर्क बस इतना है कि
शतरंज में काला, काला
और सफेद, सफेद को
रौंद नहीं पाता
पर असलियत में
अपने ही अपनो
में चालें खेलने वाली
मैदाने - जंग है ये जिन्दगी
खेल में तो
प्यादों की चालों के साथ
अपनो की वफा
अपनो के लिए महफूज है
पर इस जमीं पर
अपनो के खंजर से ही
अपनो के खून में
रंगी हुई बदरंग सी है ये जिन्दगी
खेल में हार - जीत मुकम्मल है
और जमीं पर
जीत हार का फैसला
न कर पाने के कारण
आपसी रंज सी है ये जिन्दगी
कुछ भी तासीरात और
वफा की सौगात तो नहीं मिलते
इस खेल के असल जिन्दगी में
फिर भी जाने लोग क्यूँ कहते हैं कि
शतरंज सी है ये जिन्दगी।