शर्तें
शर्तें
जिंदगी में कुछ ऐसी शर्तें क्यों स्वीकार करूं,
फूलों से नफरत और कांटों से प्यार करूं।
ऐसे मुद्दों पर राजी नहीं हूँ
दिल चाहता है हर अच्छाई
का व्यपार करूं।
मेरा काम है चिरागों को जलाये रखना
ऐसा धर्म नहीं की तुफानों की जय जय कार करूं।
माना की जायज भी नहीं मिल पाता कभी, आखिर
अपनों से झगड़ा क्यों सौ सौ बार करूं।
किसी की कागज की कश्ती
को क्या करे सुदर्शन, बेहतर
है अपनी ही बाहों के दम से
दरिया पार करूं।
माना की देखने को मिलते
हैं सब ही गांधी की भांति
पर सभी में हैं गांधी के गुण
कैसे स्वीकार करूं।
जायज नहीं पलट कर वार करना किसी पर,
इंसानियत काे छोड़ कैसे जीना दुश्वार करूं।
मिला है अनमोल जीवन संवारने के लिए सुदर्शन
फिर ऐसे जीवन को कैसे बर्बाद करूं।