श्रद्धांजलि
श्रद्धांजलि
याद रखना तुम
मेरी साँसे जब बे आस हो जाएं
आँसू मत छलकाना एक भी आँख से
कि मेरे जीते हर साँस मेरी
तुम्हारी दुश्मन सी हो गयी थी
कभी मेरी तस्वीर को देख बुदबुदाना नहीं कुछ
कि मेरे होते तरस गए थे कान मेरे
तुम्हारे शब्दों की मिठास को
याद रखना तुम
कभी मेरे दुपट्टे को सीने से लगाकर
मत महसूसना मुझे
आदत सी नहीं तुम्हें
गले लगाने की मुझे
मेरी तस्वीर को टांगकर कभी
ताजे फूल मत चढ़ाना
इस मान की चाह में
रीत गया जीवन मेरा
कभी बातों ही बातों में
नाम भी मत पुकारना मेरा
अपनी पुकार को ख़ुद भूल चुकी हूँ मैं
जो सब चाहती हूँ आज तुमसे
मत देना वो सब मेरे जाने के बाद
ज़िन्दगी तन्हा ही जी है मैंने
तुम्हारे साथ होकर भी
मेरी मौत को तुम जीना तन्हा
ज़िन्दगी कोई खेल नहीं
कि जीत हार की जंग हो हरपल
ये सच्चाई है मौत से पहले की
मत खेलो ये हार जीत का खेल
मेरे जीते जी
वरना चार दिन ही देते हैं लोग
सांत्वना, सहानुभूति और रोटी भी।