सहर
सहर
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शब से सहर का सफर
हर दिन तय कर रहा है
इंसान, इंसान से ही खौफ
रख रहा है।
शब से सहर का सफर
हर दिन तय कर रहा है
इंसान, इंसान से ही खौफ
रख रहा है।