शंकर छंद...
शंकर छंद...
सुख के प्यासे सब जन देखो,दुख सदा बिसराय ।
रोये तुलसी और कबीरा,पाप सभी कमाय ।।
सुख के प्यासे सब जन
तेरा मेरा यहीं रहेगा, किसको मिले मान ।
जीव है अनमोल जानो तो,एक प्राण सुजान ।।
सत्य छुपा है अपने भीतर,करो जी अनुदान ।
सबको छल से धोखा देकर,कैसे हो महान ।।
धन दौलत में स्वार्थी निशदिन,पापी बन नहाय
सुख के प्यासे सब जन