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Kusum Joshi

Others

2.5  

Kusum Joshi

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शिव ही जीवन का आधार है

शिव ही जीवन का आधार है

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शिव से ही शक्ति शिव में ही भक्ति,

शिव में ही सृष्टि का सब सार है,

शिव से शुरु हो ये शिव में समाया,

शिव से ही जीवन का आधार है।


शिव की जटा में मां गंगा समायी,

शमशान में ओ बाबा तूने धुनि रमाई,

भस्म से सजाया मस्तक चरण कमल को,

तुमने गले लगाया संसार के गरल को।


मस्तक पे सुशोभित शीतल चांद प्यारा,

और गले में भोले जहरीला नाग डाला,

एक हाथ में है डमरू ये जगत का सृजन है,

त्रिशूल हाथ दूजे अंत का जनन है।


शिव में ही तांडव संगीत में भी शिव है,

शिव में कला का आधार है,

शिव से शुरु हो ये शिव में समाया,

शिव से ही जीवन का विस्तार है।


शिव शांति का सागर शिव क्रोध का अनल है,

कभी तीव्र तेज वाणी कभी शांत सी ग़ज़ल हैं,

शिव प्रेम की हैं प्रतिमा शिव त्याग के पुजारी,

है व्याघ्र छाल आसन करें नंदी की सवारी।


शिव मृत्यु के उपासक ये काल ये कपाली,

मरघट की राख बाबा तन मन में सब समा ली,

तेरे दर पे जो भी आया जो मांगा वो ही पाया,

हो देव चाहे दानव सबको गले लगाया।


शिव में समर्पण शिव से ही तर्पण,

शिव के ही चरणों में संसार है,

शिव से शुरू हो शिव में समाया,

शिव से ही जीवन का विस्तार है।


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