शिक्षा प्रकृति की
शिक्षा प्रकृति की
हर पुष्प सिखाता है,
कुछ तो बतलाता है,
चलो सुन ले आज,
प्रेम से मुस्काये आज,
कितना कुछ कहना है,
हर वृक्ष का कहना है,
चलो कुछ सुन ले आज,
लाये बस देने का भाव,
कितना समझाती है,
प्रकृति समझती है,
तुम हो बस प्रेम ही प्रेम,
बस प्रेम लुटाओ आज,
कितना कुछ समझाती है,
वसुधा समझाती है,
सब कुछ मैं देती हूँ,
फिर काहे भटके तू,
खुशियां भी तुझमे है,
खुद में ही खोजना है,
बस मुझ सा ही जीना है,
प्रकृतिमय हो जाना है,
यही खुशियो का खजाना है,
जब ये समझेगा तू,
खुशी में रमेगा तू,
जीवन का मतलब तो
बस हँसना खिलखिलाना है,
बस देते जाना है,
प्रेमभाव से बस कण कण सजाना है
वसुधा को सजाना है,
बस प्रेममय हो जाना है।।