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Shilpi Goel

Abstract

4  

Shilpi Goel

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शहरी जिंदगी

शहरी जिंदगी

1 min
320



गांव के लोग शहर में 

काम की तलाश में आते हैं।

यहाँ की चकाचौंध देख 

अपना बसेरा भूल जाते हैं।


बस जाते हमेशा के लिए यहीं।

पीछे छोड़ अपनों को कहीं।


माना खूब तरक्की कर ली 

शहरों ने हमारे।

करकर हरे-भरे वातावरण को 

दर किनारे।


ठंडी हवा के लिए एसी की ओर ताकते।

ठंडे जल के लिए फ्रिज की ओर भागते।


भूल बैठे पीपल की छांव की ठंडक भरी शांति। 

कौन देगा शीतल जल मिट्टी के घड़े की भांति। 


शहरों में हरियाली बस सुंदरता की रिवायत है।

असली हरियाली आज भी गांवों की कवायद है।


सुकून की जिंदगी तो 

आज भी गांव में बसी है।


चूल्हे की रोटी और असली घी का स्वाद भूल,

शहर की जिंदगी तो 

एसिडिटी और गैस में फंसी है।


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