शब्द -धरा
शब्द -धरा




वंध्या वसुंधरा तुझे कैसे सजाऊँ मैं?
कैसे तेरे आंचल में लाल बिठाऊँ मैं।
सूखी, दरकती, प्यासी धरा में
हरियाली कैसे उगाउँ मैं?
सोच रहा हूँ बैठे-बैठे तुझे कैसे
मनाऊं मैं?
श्रम से डरने का स्वभाव ना मेरा,
फावड़ा भी देखना संग लाया हूं।
आँखों में तेरे सुख के सपने सजाएं
आया हूं।
प्रार्थना है देवेंद्र से कुछ तो करें कृपा
मेघों से भी अर्ज है आशीष दे अपना
बरसा
प्यासी माँ के कंठ को तर कर दें
अन्नदाताओं का श्रम सफल कर दें
मेरी सूखी वंध्या माँ को पुनः
पूतों वाली हरी -भरी कर दें।