शैतान
शैतान
ऊपर से मासूम, अंदर से शैतान
ऐसा ही है कुछ, आज का इंसान
मासूमियत दिखाए, बो ऐसे मुस्कराये
जैसे हो बो, अच्छाई की दुकान
वार करे पीछे से, सामने साथ निभाए
बो अपनों में छुपा है, मैं धूडूं सारा जहान
ऐसा ही है कुछ, आज का इंसान
है पैसे की कीमत, इंसानियत परेशान
सच्चाई लुट गयी, रूतबे की शान
साजिसों के बीच, धर्म कुर्बान
अपने ले रहे, अपनों की जान
ऐसा ही है कुछ, आज का इंसान
ना मान की फ़िक्र, ना कोई सम्मान
सब नशे में पड़े हैं, सोच! खुद को महान
उपासना में लीन, माने पैसे को भगवान
सत्य को अब श्राप समझें, मिथ्या को बरदान
ऐसा ही है कुछ, आज का इंसान
ऐसा ही है कुछ, आज का इंसान।