STORYMIRROR

Veena rani Sayal

Abstract

4  

Veena rani Sayal

Abstract

शायरी

शायरी

1 min
415


तेरी याद के चिराग में जलता रहा हूं मैं

जिंदा जिगर मजार पर जलता रहूंगा मैं


मेरे बाग की खिली कली मेरा बाग छोड़ गई 

इस चमन और उस चमन ढूंढता रहूंगा मैं


कहीं देख मेरे आंसू को तेरा दिल न रो पड़े

इन आंसुओं का जाम भी पीता रहूंगा मैं


जिंदगी को मौत छोड़ गई लाशों के ढेर पर

कांधे पर रख के लाश को चलता रहूंगा मैं


शिकवा नहीं गिला नहीं मुझे इस जहान से

तन्हाइयों के बिखरे मोती सहेजता रहूंगा मैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract