शायरी
शायरी
तेरी याद के चिराग में जलता रहा हूं मैं
जिंदा जिगर मजार पर जलता रहूंगा मैं
मेरे बाग की खिली कली मेरा बाग छोड़ गई
इस चमन और उस चमन ढूंढता रहूंगा मैं
कहीं देख मेरे आंसू को तेरा दिल न रो पड़े
इन आंसुओं का जाम भी पीता रहूंगा मैं
जिंदगी को मौत छोड़ गई लाशों के ढेर पर
कांधे पर रख के लाश को चलता रहूंगा मैं
शिकवा नहीं गिला नहीं मुझे इस जहान से
तन्हाइयों के बिखरे मोती सहेजता रहूंगा मैं।