शापित वैम्पायर
शापित वैम्पायर
वह शापित थी
या नहीं, पता नहीं..
पर....
पति की अकाल मृत्यु ने
अंदर तक तोड़ दिया था उसे
शादी के दो महीने बाद ही..
विधवा होना रास न आया
सती होना चाहती थी
पर बड़ों के आगे झुकना पड़ा
नहीं सह पा रही थी वह..
विधाता का अज़ब विधान।
पति के चौथे पर......
सुबह लोगों ने लाश लटकती पाई
खबर आग सी फैल गई
जितने मुँह उतनी बातें
किसी ने कहा डाकन बन जाएगी
किसी ने कहा भूतनी बन जाएगी
किसी ने बदला लेने के बाद की
तो किसी ने खून पीने की।
आठवीं में पढ़ती थी तब
बात समझ ना पाई
बस यही पता लगा...
बेचारी मर गई।
जिस हवेली में
रात में भी कहानी सुनने के लिए
दो मंजिल चढ़ जाते थे
अब अचानक एकदम से
दिल डरने लगा...
कारण लोगों का कहना
वहाँ उसकी आत्मा भटकती है
आत्महत्या के कारण
आत्मा को शांति ना मिली।
लोगों ने तो यहाँ तक भी कह दिया....
कि उन्होंने खून लगा चेहरा देखा है।
इसी डर से हवेली से नाता टूट गया
शाम होते ही मुर्दनी छा जाती थी
पापा की ट्रांसफर के बाद
चंडीगढ़
आगे की कहानी नहीं मालूम
लोग चाहे शापित कहें
पर
मैंने अगले दो सालों में
कुछ अनहोनी न सुनी थी।