शांति
शांति
शान्ति का ध्वज लहराता सदा गगन में
हिंसा का दामन जल जाता सदा पवन में
रहता है सदा शांति का बोल ही जगत में
मिटती है सदा मानवता युद्ध से जगत में
उगता है शूल सदा ही नफ़रत से नमन में
खिलता है फूल सदा ही प्रेम के चमन में
धैर्य में सार है, ठीक होता इससे बुखार है
धैर्य से मिलती सफ़लता सदा जगत में
शांति से न होता है किसी का नुकसान,
क्रोध हो जाता है सदा पानी शमन में
शांति से पत्थर दिल भी पिघल जाता है
शांति से पत्थर भी बह जाते है जल में