शाँति
शाँति
अंधाधुंध दौड़ में
रात दिन लगे रहते हो
बस बिना लक्ष्य के दौड़ रहे हो
खुद पर ध्यान नहीं देते हो
कभी समय निकाल कर
खुद को भी समझो आखिर
भौतिक सुख साधन से कभी
मिलती नहीं खुशी है
शरण में जाओ ईश्वर की
मिलती शांति वहीं है।
अंधाधुंध दौड़ में
रात दिन लगे रहते हो
बस बिना लक्ष्य के दौड़ रहे हो
खुद पर ध्यान नहीं देते हो
कभी समय निकाल कर
खुद को भी समझो आखिर
भौतिक सुख साधन से कभी
मिलती नहीं खुशी है
शरण में जाओ ईश्वर की
मिलती शांति वहीं है।