शाम
शाम
शाम धिरे धिरे गुजर
अभी संवरना बाकी है
रास्ता तकते है बैठे
संदेशा आना बाकी है
नज़रों ने कि है शिकायत
की दीदार के प्यासे है
उनकी एक झलक से
रौशन आँगन के चिराग है
मौसम बदल जाता है
तेरे कदम पड़ते ही
सुकून सा मिल जाता है
नज़रों से नजर मिलते ही
शाम धिरे धिरे गुजर
अभी संवरना बाकी है
रास्ता तकते है बैठे
संदेशा आना बाकी है
नज़रों ने कि है शिकायत
की दीदार के प्यासे है
उनकी एक झलक से
रौशन आँगन के चिराग है
मौसम बदल जाता है
तेरे कदम पड़ते ही
सुकून सा मिल जाता है
नज़रों से नजर मिलते ही