सच होंगे तेरे ख़्वाब भी
सच होंगे तेरे ख़्वाब भी
गर कांँटों की चुभन है राहों में तो विश्वास का मरहम भी है,
बस तू संभालना सीख ले जब भी पांव तेरे लड़खड़ा जाए।
जूनुन है गर दिल में तेरे और हिम्मत कुछ कर गुजरने की,
तो कौन सी ऐसी समस्या यहांँ जिसका हल न मिलने पाए।
रास्ते तो अक्सर वही भटकते, जिनका खुद पे विश्वास नहीं,
मन में आस तो छोटी सी उम्मीद की लौ मशाल बन जाए।
मत भाग अंँधेरों से अगले पल आने वाला एक नया सवेरा,
जाने कब अंँधेरों में सिमटी ज़िन्दगी उजास में बदल जाए।
जो कर्म पर रखता विश्वास वही जीवन में होता कामयाब,
सच्चा है गर तेरा कर्म, तो हारी हुई बाजी भी तू जीत जाए।
मिलती गर असफलता तुझे, तो भी क़दमों को न रुकने दे,
सीख उगते सूरज से, जो रोज़ नई ऊर्जा से उदित हो जाए।
तू भी दिल में जोश-ए-तूफ़ान लिए, बढ़ मंजिल की ओर,
फौलाद इरादे जिसके,वही ख़्वाबों को सच कर दिखलाए।
सच होंगे तेरे ख़्वाब, तफ़्दीन कर अपनी कमजोरियों को,
सिकंदर वही तो कहलाता यहांँ,जो हारकर भी जीत जाए।
एक दिन पाषाणों पे लिखी जाएगी इबारत तेरे संघर्षों की,
हौसला न हारे जो कामयाबी उसी के कदमों पे मुस्कुराए।