सब्र...
सब्र...


थोड़ा मुश्किल है मगर
सब्र की मिठास
ज़रा देर से मिलती है ...!
तुम कहीं अपनी
आस न छोड़ देना, मेरे भाई !
यूँ बेइंतहा दर्द सहने के बाद ही अपने खुशियों का ठिकाना मिलता है।
सब्र करो, मेरे भाई !
यूँ अंधाधुंध भागदौड़ करने से
तुम्हें सिर्फ थकान ही महसूस होगी और कुछ नहीं ... !
इसलिए तुम अपने जीवन में सकारात्मकता लाओ ...
नकारात्मक विचारों से
पूर्णतया मुक्त होने का
प्रयास करो ...!!
लोगों की बात छोड़ो, मेरे भाई !
लोग तो कहेंगे ही : उनका काम है कहना ...
तुम बस अपना आत्मविश्वास न खोना ...!!
बस इतना ही नहीं, अपने चहुंओर सिर्फ स्वच्छता ही रखना ...
स्वच्छ मन ही सफलता की नींव है। बस तुम सब्र से काम लेना,
मेरे भाई...!!!