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Mukesh Kumar Modi

Tragedy

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Mukesh Kumar Modi

Tragedy

सब कुछ है पराया

सब कुछ है पराया

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दुनिया रूपी इस नगरी में, सब कुछ मैंने पाया

कोई लगा मुझे अपना, और कोई लगा पराया

अपनेपन का अनुभव, किसी ने नहीं कराया

उपेक्षित करके सबने, कर दिया मुझे पराया


गीत प्यार का गाने के लिए, मैंने रोज बनाया

लेकिन मेरे संग किसी ने, आज तक ना गाया

झूठी नींव भरे जीवन में, खुद को मैंने फंसाया

जन्म जन्म खुद को मैंने, कितना है उलझाया


अपना नहीं कुछ भी यहाँ, सब कुछ है पराया

बड़ी देर बाद मुझ को, ये सच समझ में आया

यही लगा ये संसार हुआ, अब मेरे लिये पराया

आखिर इस दुनिया से मैंने, कुछ भी ना पाया


काहे को मैं इतराऊँ जब, अपनी नहीं ये काया

ये तन भी मुझे लगता है, जैसे बेटी धन पराया



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