सौगात
सौगात
मैं तनहा थी
मगर तनहाई ना मिली
तेरे यादों की महफ़िल थी
और एहसास की रोशनी मिली
तेरे आने की उम्मीद थी
तो इंतज़ार की घड़ियां मिली
तेरे पुराने पैगामों की लड़ी थी
और तसव्वुर की बहार मिली
तेरी दोस्ती बेवफ़ा नहीं थी
इस यकीन की कड़ी मिली
एक हिचकी तो आ ही जाती थी
और नादान दिल को तसल्ली मिली
अब जा के जाना के...
उम्र तनहा बीत रही थी
तुमसे हौसले की सोहबत मिली
चंद लम्हों की इनायत बख़्शी थी
और उम्रभर के खुशी की सौगात मिली।