सावन लहराया
सावन लहराया
मनोरमा पंत
चल सखी ,हिडालें पर
हम भी पींगे भरे ,
बाहों में भर ले आसमान
फिर होले से धरा छूँ ले
मेरी आँखों में लहरा गया ,
है सावन
सुधियों में आया है इक
नाम ,
अधरों पर गीत बना बना
गुनगुना ले,
हिंडोले पर पीगें बढा ले
चहक रही इक चंचल
बदली ,
छूकर उसके काले केश ,
साँसों को महका ले ,
हिडोले पर पीगें बढा ले
झाँक रहा नभ से इक
प्यारा इन्द्रधनुष
चुरा के उसके सतरंग
अपनी चुनरियाँ रंग ले
हम भी पींगे भर ले।