सावन का मौसम.गज़ब ढा रहा
सावन का मौसम.गज़ब ढा रहा


धरती सजने लगी बदरा घिरने लगे
अब सावन का मौसम गज़ब ढा रहा
बरखा होने लगी कण कण भिगोने लगी
रिमझिम का मौसम सुहाने लगा
पेड़ हरे हो गए फूलों से लदने लगे
हरियाली से बागवाँ चहकने लगा.
फूल खिलने लगे खुशबू देने लगे
अहा बहारों का मौसम गजब आ रहा
झूले सजने लगे, बालाएँ झूलन लगी
मधुर गीतों का गुंजन होने लगा
मौसम ठंडा हुआ तन- मन हर्षित हुआ
मन - मयूर झूमने लगा
हाथ मेहंदी रचे, पैर पायल सजे
अब झंकार का मौसम गजब ढा रहा
फूल मन के खिले, ईर्ष्या नफरत टले
प्रेम - संगीत बजने लगा
राखी पर्व आने लगा, बहनें सजने लगी
भाइयों के राखी बंधने लगी
उपहार थाली में सजे,पावन नेह सजे
देखो नज़ारों का मौसम गज़ब ढा रहा।।