साथ छोड़ न देना
साथ छोड़ न देना
तू कहीं दोस्त मेरा साथ छोड़ न देना
कश्ती से कहीं किनारा तोड़ न देना
हमने खुदा से ज़्यादा तुझे माना है,
तू कहीं मेरी इबादत तोड़ न देना
जिंदगी में चाहे हज़ार ग़म आये
पर मेरे ग़म की दवा तुझ से आये
तू कहीं दोस्त मेरा साथ छोड़ न देना
कश्ती से कहीं किनारा तोड़ न देना
सुख की धूप हो या दुख का अंधेरा
तू मेरी परछाईं को कभी तोड़ न देना
हर आरजू मेरी उसी दिन पूरी हो गई है
जिस दिन मेरी तुझ से दोस्ती हो गई है
हर पल तू मेरा साथ निभाते रहना दोस्त,
मुझे किसी ख्वाइस में अकेला छोड़ न देना
ये जिंदगी की सांसे तुझ से चल रही है,
मेरी सांसों को बीच मे कहीं रोक न देना
तू कहीं दोस्त मेरा साथ छोड़ न देना
कश्ती से कहीं किनारा तोड़ न देना