साम्राज्य स्त्री का
साम्राज्य स्त्री का
हर औरत का एक सपना
कि घर हो मेरा अपना
जिसमें दुनिया जहां की हर खुशी हो
जिसमें हर तरीके का आराम हो
जिसमें हर तरह की सुविधा हो
वह घर हो मेरा अपना
वह है हर स्त्री का अपना साम्राज्य
जहां पर चलता है सिर्फ उसका राज
घर बना हो उसके अनुसार
सजावट हो उसके अनुरूप
खाने में क्या हो
घर में खाना क्या क्या बनेगा
हर एक फरमान
नहीं किसी की मजाल
जो चलाए अपनी जबान
मेरा घर मेरा हुक्म
मैं हूं इस घर की सम्राज्ञी
हर स्त्री चाहेगी
कि मेरे घर की खुशियां बढ़े
चाहे दिन हो या रात
छोटा हो या बड़ा
बस इतनी सी है गुजारिश
कि एक खूबसूरत हो आशियाना
इतनी सी गुजारिश
हो उसके अनुरूप
उसका साम्राज्य ।।