साक्षरता
साक्षरता
भीड़ भरे इस समाज में अपने आपको मुझे ढूंढना है,
असाक्षरता से साक्षरता की ओर अब मुझे बढ़ना है।।
अज्ञानता की ज़मीन छोड़ अब ज्ञान के आसमान को छूना है,
रूढ़िवाद की हर बेड़ी तोड़ अब ऊंची उड़ानों को भरना है,
अंधेरी इन गलियों से परे एक सवेरा है,
साक्षरता की डाली पर उम्मीदों का बसेरा है।।
भीड़ भरे इस समाज में अपने आपको मुझे ढूंढना है,
असाक्षरता से साक्षरता की ओर अब मुझे बढ़ना है।।
नन्ही इन आंखों ने ख्वाब बुने है स्कूल के,
रात रात भर जाग कर लिखे है गीत आस के,
शब्द ज्ञान और अंक ज्ञान हर ज्ञान को हासिल करना है,
साक्षरता की कलम से अपना कल मुझे लिख जाना है।।
भीड़ भरे इस समाज में अपने आपको मुझे ढूंढना है,
असाक्षरता से साक्षरता की ओर अब मुझे बढ़ना है।।
चलो किसी किताब के हर पन्ने को पढ़ डाले,
कोरे कागज़ पर बदलाव की स्याही बिखरे,
अपनी इन मुट्ठियों में आओ ज्ञान की रेत समेटे,
आओ साक्षरता की चुनरी पर नए विचारों के मोती जड़ दे।।
भीड़ भरे इस समाज में अपने आपको मुझे ढूंढना है,
असाक्षरता से साक्षरता की ओर अब मुझे बढ़ना है।।
एक साक्षर समाज अब हमें बनाना है,
पिछड़ी और खोखली कुरीतियों को अब बदल दिखाना है,
आओ अपने जीवन को एक सुनहरा मोड़ दे दे,
अपने जीवन के बाग में आओ साक्षरता के बीज बो दे।।