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RAJNI SHARMA

Tragedy Inspirational

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RAJNI SHARMA

Tragedy Inspirational

सागर

सागर

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सागर की गहराइयों में,

गोता लगाकर,

मझधार बन,                        

सीपियों को लाना होगा।।


जो मिल न स बसकीं खुशियाँ तो,

पुनः साहस बटोरकर,

कल कल लहरों सा,

स्वर सृजन गान गाना होगा।।


नमकीन समुद्र के,

खारेपन में भी,

तैराकी बनकर,

विषाद को मिटाना होगा।।


स्वयं ख़्वाबों के,

मोती चुन- चुन,

नवल आभूषण सा,

पट को हरसूँ सजाना होगा।।


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