रवानी
रवानी
ये जो चाँद आधा है
कल की सूरज का वादा है
जो रात जितनी अँधेरी है
उसकी सुबह में उतनी रौशनी है
ये जो बादलों से भरा है आसमान
कल की धूप का है पैग़ाम
तेरी आँखों का जो पानी है
वो भी आने वाली ख़ुशी की कहानी है
तू बस चलते ही जाना मुसाफ़िर कैसा
भी हो गुज़र ही जायेगा वक़्त
ज़िंदगी की ख़ूबसूरती तो रवानी है