रूठा हुआ सा फाग
रूठा हुआ सा फाग
गुलालों की इन उथली परतों के तले
मन की गहनतम सतहों पर
व्याप्त इक वैराग है
रूठा हुआ सा फाग है
रस-रंग के इस पर्व में
भीतर है कुछ जिसको कभी
छूता नहीं रंग-राग है
रूठा हुआ सा फाग है
रिमझिम अबीरों में निरंतर
सांस भर एक प्यास है
कुछ राख है,कुछ आग है
रूठा हुआ सा फाग है