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Sonam Kewat

Romance

3  

Sonam Kewat

Romance

रूहानी इश्क

रूहानी इश्क

1 min
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जिस्मानी इश्क तो बाजारों में बिकते हैं

क्या तुम कुछ अलग करके दिखाओगे।


जिस दिन जुदा होगा अंदाज तुम्हारा

उस दिन हमारे रुह में उतर जाओगे।


माना जकड़ कर बाहों में अपने तुम

जिस्म को हमारे एक कर पाओगे।


पर क्या जिस्म को छोड़ कर कभी

हमें बाहों की गरमाहट में छुपाओगे।


जिस्मों को भी जुड़ने का एहसास होगा

धड़कती धड़कनों का भी आभास होगा।


बारिश की बूंदों में मदहोश होकर भी

क्या तुम खुद पर काबू कर पाओगे।


नोक झोंक हो जो रिश्तों में कभी

टूटने की तक नौबत आए जब भी।


इंतजार कर रहे हो हम और फिर

क्या तुम लौटकर वापस आओगे।


जिस्म छूटे पर रूह कभी छूटती नहीं

जिस दिन तुम रुहानी इश्क का। 


मतलब खुद ही समझ जाओगे

उस दिन से फिर तुम हमारी

रूह तक उतर जाओगे।


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