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Mahi Aggarwal

Romance

2  

Mahi Aggarwal

Romance

रुठी रुठी सी

रुठी रुठी सी

1 min
230


वो मुझसे कुछ यूं रुठी रुठी है

बातें नही करती पर मिलती रहती है

होठों को ताले लगा आँखो से वो कहती है

शिकायतों का पुलिंदा बना रख जाती है

चैटिंग के पन्नों पर सब कह जाती है


सपनों मे वो आके, बस मुस्कुराती है

रोको तो वो पीठ दिखाती है

पलट पलट कर आगे जाती है

मासूम सा मुँह बना कर फिर इतराती है

ये कैसा अंदाज़ सनम का, क्यों उलझाती है

अपना बना कर भी अपनापन नही दिखाती है

उनकी यही अदा तो और और दीवाना बनाती है।


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