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S N Sharma

Abstract Inspirational

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S N Sharma

Abstract Inspirational

रुसवाईयां

रुसवाईयां

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माना कि रुसवाइयां साथ चलती ही रहीं।

जिंदगी मेरी गिरी फिर संभालती ही रही।

जब देखा दर्द औरों का तो ये जाना मैंने

गम मेरे हैं जरा से फिर कमी ही क्या रही।

बहुत कुछ तो दे दिया शुक्रिया ओ रब मेरे

कुछ आरज़ू पूरी हुई कुछ नई पलती रही।

जिंदगी के उस मोड़ पर तुम जो आके मिले

हर कमी पूरी हुई कदमों तले जन्नत रही।

मन तो है शैतान मेरा इसका क्या कीजे शिवा

हर शरारत पर मेरी तेरी हंसी चलती रही।



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