रुसवाई
रुसवाई
1 min
195
छुपते फिरते रहे
किस बात से डरते रहे
कुछ बात थी दिल में।
या कोई जज़्बात को
मैंने ठेस पहुंचाया था।
जो अचानक खामोश होकर,
यू मुझ से नज़रे चुराते रहे।
कुछ बात थी दिल में तो,
इशारों में समझा लेते।
क्यू अपनी ये कातिल निगाहों
से मुझ पे वार करते रहे।
अगर थी मुझ से बेरुखी,
तो मुझे डांट फटकार लेते।
क्यूं मुट्ठी में बंद रेत की तरह
धीरे धीरे मेरी ज़िंदगी से फिसलते रहे।