रोटी के छाले
रोटी के छाले
जब से प्रेम, करुणा, दया, दान धर्म और व्यापार,
परिवार को प्रमुख बताया
दुनिया के सभी संतों, वैज्ञानिकों और सम्पन्न लोगों ने
तब से रोटी नाराज होती चली गयी
और इतनी नाराज कि रोटी महंगी होती जा रही है निरंतर
जिसने अन्न को ब्रह्म मानकर पूजा
वे तो रोटी की मार से भूखे मर रहे हैं
उनका दोष इतना कि उनके इंटरव्यू नहीं लिये गये
उनके विचार नहीं छापे गए अखबार के किसी पृष्ठ पर
जैसे मंदी उनकी मार हम पर
वैसे ही विचार उनके
रोटी के छाले हम पर।