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Kawaljeet Gill

Abstract Romance

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Kawaljeet Gill

Abstract Romance

रोती रहती है रात

रोती रहती है रात

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जाने क्यों जाने क्यों जाने क्यों ये मुमकिन नहीं,

चाहकर भी हम तुमको दिल से निकाल नही पाते,

तेरी यादों से दूर भागने की हमारी हर 

कोशिश नाकाम हो जाती है,

मेरी तरह मेरी राते भी रोती है तेरी यादों में,


करवटे बदलते रहते है हम रातो को,

छुप छुप कर अपना तकिया भी गीला करते हैं,

अपने आंसुओ को हम सबसे छिपा लेते हैं,

दर्द अपना झूठी हँसी में छिपा लेते हैं,


ये दिलों के बंधन भी कितने मजबूत होते हैं,

जो तोड़ना चाहो तो और याद आते है,

कच्चे धागों की तरह होकर भी पक्के होते हैं,

ये रातों को चैन से सोने नहीं देते रातों को जगाते है।


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