रंगों की बहार ( 63 )
रंगों की बहार ( 63 )
पूरे साल से रहता है जिसका इंतजार,
वो घड़ी आ गई लेके होली का त्यौहार,
सब पर चढ़ा है नशा इसका बेशुमार,
पानी भी बहेगा-होगी खूब रंगों की बहार,
है त्यौहार रंगों का
स्नेह-मिलन का चढ़े सबको रंग,
कोई भी मन में न रखे
कोई पुराना वेर जिससे रंग दागी कहलाए,
भूल कर अपनी सारी
पुरानी रंजिशें सबको गले लगाए,
सब मिलकर नाचे-गाए खूब धूम हम मचाए,
डॉल-नगाड़े और थाल बजेंगे खुशियों के गीत गाए,
रंगों के इस त्यौहार को
हम खूबसूरत बनाए मिलकर हम,
इस युग में भूलते त्यौहारों को
युवाओं को जोड़े मिलकर हम,
समय निकाल कर सम्मिलित करें
सबको इस रंगों की बहार में,
ऊंच-नीच और अमीर-गरीब की
खाई को पाटे मिलकर हम,
मिलकर इस त्यौहार को
ऐसे मनाए की रंगों की बहार हो जाए !