रंग
रंग
कृत्रिम हुए रंग
रंगों का आतंक
होली के नाम पर कलंक
करते रंग में भंग
देख यह प्रकृति भी है दंग
हो जाए इनका अंत
फाल्गुन के रंग
होली तो है फूलों के संग
फूलों से ही बने रंग
समझ जाए सब अविलंब
छिड़ जाए नई जंग
हो जाए सब की आवाज बुलंद
अपना ले सभी सही ढंग
रहे ना कोई मन से तंगI
छिड़ जाए नई उमंग
तो खिल जाए अंग अंग
आ जाए जीवन में तरंग
निखर जाए हर रंग।