रिसता रिश्ता
रिसता रिश्ता
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उन्होंने हमसे पूछा आदमी से
आदमी का रिश्ता
मिटता जा रहा है क्यूँ
हमने कहा इसे समझिए कुछ यूं
रिश्ता एक मधुर रस है
जो दिलों में पनपता है
आज हर आदमी के दिल में
एक बड़ा सा छेद है(द्वेष का)
जिसमें से ये रिसता है