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Sudhirkumarpannalal Pratibha

Abstract

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Sudhirkumarpannalal Pratibha

Abstract

रिश्तों की समीक्षा

रिश्तों की समीक्षा

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समय समय पर

रिश्तो की

समीक्षा

करनी चाहिए

यह रिश्ता

अनमोल है,

यह रिश्ता

जीवन का

आधार है,

यह रिश्ता

जीवन है,

इसी रिश्ते में

जीना है,

इसी रिश्ते में

मर जाना है,

यह रिश्ता

हमारे जन्म का

कारण भी है,

रिश्तो में

पारदर्शिता

इस रिश्ते की

दीवार की नीव है

इस रिश्ते में प्रेम 

दीवाल में लगा

सीमेंट है,

इस रिश्ता में 

विश्वास

दीवार का

ईट है

रिश्तों में

समीक्षा के

उपरांत

अगर

रिश्ता से

संतुष्टि

मिल जाती है

तो

खुद को

भाग्यशाली

समझना

चाहिए

ऐसे रिश्ते

जीवंत हो

उठते हैं।


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