राणा जी
राणा जी
मस्तक पर जिसके सूर्य चमकता था
हवा से तेज़ जिसका भाला था
जो खुद में एक ज्वाला था
जिसने खुद को भूल मेवाड़ बचाया था
जिसने मानवता का परम धर्म निभाया था
अंधकार में जो उजाला था
जिसने अपने दुश्मनों को झुकाया था
जिसने राजपूत आन बचाया था
दुश्मनों ने जिसकी वीरगाथा को गाया था
वो महाराणा प्रताप कहलाया था
वो महाराणा प्रताप कहलाया था..