राखी भी क्या चीज है
राखी भी क्या चीज है
ये पगली राखी भी क्या चीज है
पत्थर को करती मोम का बीज है
नाज़ुक इतनी की फूल शर्मा जाये,
ये राखी कोमलता, स्नेह की कील है
जब-जब भी ये मन उदास होता है,
राखी तुझ से ही ये मन खुश होता है,
ये पगली राखी भी क्या चीज है
टूटे मन को देती ख़ुशी की तीज है
भले ये राखी होती नाज़ुक सी डोर,
पर इसमें होता जंजीर से ज़्यादा जोर,
ये लोहे से ज़्यादा मजबूत जीभ है
मन से मानो तो पर्वत का बीज है
दुनिया मे यूँ तो बहुत सारे धागे है
इन धागों में राखी के धागे प्यारे है
जिस कलाई में बंधता है,
ये धागा उसका भाग्य हो जाता है ज़्यादा
ये पगली राखी भी क्या चीज है
हमे बनाती आसमाँ का चील है
ये राखी उनको देती गंगा नीर है
जिसके हृदय में सत्य का तीर है
वो क्या समझेंगे भला राखी को,
जिसके नही कोई बहन की लीर है
ये पगली बहन भी क्या चीज है
राखी बांध करती बहुत अमीर है
