राही
राही
मंजिल मंजिल भटके राही
सागर बन चला चल
कोई ना रोक कोई ना टोक
अपनी धुन में चला चल।
लहरों संग साहिल को चुन
हो जा अपने धुन में गुम
करके हिम्मत आगे चल
तू अपने हौसलों को बुन।
संदेह ना कर खुद पर तू
मंजिल खुद पास आएंगी
मेहनत तेरी रंग लाएंगी
फूलों से तेरी राह सजेगी।