राह तेरी-मेरी
राह तेरी-मेरी
राह तेरी-मेरी हुई जुदा जुदा,
हमको बचाएं रब और खुदा।
राहों में ऊंची-नीची डगरिया,
चलते-चलते ज़रा संभलना।
ठोकरें खाते हुए गिरना नहीं,
धीरे-धीरे क़दम हमनें उठाना।
सफर वो मुश्किल था क्योंकि,
हमारे जीवनसाथी संग ना था।
अंजान सफ़र अंजान राहों पर,
दूर-दूर तक साथ कोई नहीं था।
अकेलापन महसूस किया था मैंने,
उनके छोड़कर चले जाने के बाद।
सचमुच ग़लत राहों पर चल पड़ते,
इतना खुशनसीब बाल-बाल बचा।