"प्यारी सी जिंदगी..."
"प्यारी सी जिंदगी..."
कभी सहमी सी है तो कभी खिली सी है
कभी सीधी सी है तो कभी टेढ़ी सी है
न जाने कितने रंग बदलती है जिंदगी ये मेरी
जो सोचती हूँ होता नहीं जो होता है कभी सोचा नहीं
कहीं बांह थामे है खुशियाँ तो कहीं गमों की बहारें है
फिर भी प्यारी सी लगती है जिंदगी ये मेरी
यहाँ अक्सर कोई उतार है और कोई चढ़ाव है
हर पल हर कदम कोई नया पड़ाव है
कितनी मुश्किल सी लगती है जिंदगी ये मेरी
रखूँ अगर हौसला तो जिंदगी खुशहाल है
छोटी सी इस जिंदगी में करनी बड़ी धमाल है
एक जुनून सी लगती है अब जिंदगी ये मेरी!