प्यारा साथ
प्यारा साथ
सुनो, रुको नहीं यूँ ही चलते चलो हमसफ़र थामें मेरा हाथ,
तुम नहीं जानते मुझे थकने नहीं देता तुम्हारा प्यारा सा साथ।
हूँ भीतर से हिली हुई चेहरे पर भले दिखे हौसलों का उफ़ान,
भरती है तुम्हारी मौजूदगी मेरी निरंतर बहती साँसों में प्राण।
सुकून हो तुम मेरी बोझ लदी पीठ का जो देता है मेरे वजूद को पूरा मान,
तुम क्या जानो
पाते ही तुम्हें करीब मेरी आँखों को मिलता है कितना आराम।
तुम वो नमी हो जो मेरी ज़िंदगी की जड़ो में भरते हो उर्जा का संचार,
मेरे लिए तुम वो हो जो सीता के जीवन में था राम का स्थान।
मौत का ख़ौफ़ नहीं, डरती हूँ तो तुम्हारी दूरी से रखना मेरी चाहत का मान,
इश्क है इतना तुमसे कि दूर गए जो तुम, तो बिछड़ जाएंगे तन से प्राण।