प्यार सब कुछ नहीं
प्यार सब कुछ नहीं
हर बार मैं ही क्यों तुम्हारे हालातों को समझूँ
हर बार मैं ही क्यों तुम्हारे ज़ज़्बातों की कद्र करूँ
हर बार में ही क्यों तुम्हारे अल्फाज़ों को सच मानूँ
इंसान हूँ मैं भी तुम्हारी तरह,
जब तुम्हें मेरी परवाह नहीं तो मैं ही क्यों
हर बार ज़िन्दगी से समझौता करूँ
दोस्त मेरे ताली दो हाथों से बजे तो अच्छी लगती है
रिश्ता दोनों तरफ से निभे तो अच्छा लगता है
वरना उस रिश्ते को तोड़ दे जो नासूर बन कर चुभने लगे।
माना कि प्यार बहुत कुछ है संसार में
पर प्यार की खातिर क्यों संसार त्यागना
और भी बहुत से काम है रिश्ते निभाने है
संसार में, प्यार सब कुछ नही जिंदगी के लिए
चलो जुदा जुदा हो जाते हैं हम भी अब।
माना हमारा मिलन नहीं होगा कभी
हमारी रूहें तो एक दूजे में बसती है
इस जन्म नहीं तो फिर मिल लेंगे अगले जन्म में
शायद तब कोई दुश्मन ना हो हमारा।
शायद तब हमारा मिलन मुमकिन हो
शिद्दत से हमने चाहा एक दूजे को
पर फिर भी हमारा मिलन मुमकिन नहीं
चलो अब जुदा जुदा हो जाये हम दोनों
और एक दूजे को भुला दे हमेशा के लिए।।