प्यार की कद्र
प्यार की कद्र
इंसान कोई गलती कर दे,
हम उसे जानवर कह देते हैं।
किंतु कभी जानवर कोई,
प्यार के बदले दगा न देगा।
प्यार का बदला वार से देना,
इंसानों की ही फितरत है।
मगर जानवर प्यार के बदले,
दोगुना प्यार पलट कर देगा।
पल-पल इतने रंग बदलता,
मानव जिसकी सीमा न है।
तुम उसको गिरगिट बोलो तो,
गिरगिट भी क्रोधित हो लेगा।
कह-सुन कर भी बने नासमझ,
मौन को कैसे पढ़ पाएगा ?
मगर जानवर एक स्पर्श से,
आपकी भावना समझ ही लेगा।