प्यार भरी पाती
प्यार भरी पाती
नन्हीं सी फाँस हमेशा,
तुम्हारे दिल को सालती रही।
कशमकश में जिंदगी,
बिन कहे चलती रही।।
साये की तरह खामोश,
साथ साथ चलते रहे।
अपनी संवेदनाओं का सत्य,
ताउम्र कह ना सके।।
मेरी छोटी छोटी भूल,तुम्हारे प्रति,
अपनेपन का एहसास था।
जबकि तुम उसे अपने प्रति,
अवहेलना समझते रहे।।
जब जब भी फाँस की,
चुभन का एहसास होता।
दिल और दिमाग पर,
एक तीक्ष्ण प्रहार होता।।
जब प्यार दोनों का ही,
पूर्णतः समर्पित आस।
क्यो छा जाती है खामोशी,
क्यो चुभती है फाँस।।
क्योकि, फाँस बहिरंग है,
चुभती जो तनमन में।
खामोशी अंतरंग है,
बहती जो समर्पण में।।
इसे समझ प्यार ली पाती
मिटा देना सारे गीले शिकवे
तब न वो दौर था जो कह पाती
अपने मन के कश्मकशी लम्हे।।