STORYMIRROR

Swati ankan

Inspirational

4  

Swati ankan

Inspirational

"पुत्र "

"पुत्र "

1 min
249



माँ का हर्ष हिलोरे ले रहा

जीवन डगर पर पुत्र जा रहा

भाव-विभोर हो आँखें छलकी

सोच, पुत्र बढ़े अपना कद बढ़ रहा

कलयुग के पुत्र भी माँ की

अपेक्षाओं के काबिल रहे

पुत्र ही त्राण पिता के जग में

श्रवण, श्रीराम, कृष्ण न सही

विवेकानंद, भगत, कलाम

दिनकर बन रौशन करे जग

पुत्र से ही गति मिले, पुत्री

रखे दो कुलों की लाज़

ये विधान विभेद का नहीं

अपने-अपने हिस्से के फर्ज

कर्ज, सीख है, जो देनी

होती है तात-मात को।

पुत्र माथे का गुरूर

पुत्री उर का गुरूर

एक पिता की पहचान

दूजा पिता की शान

यही आत्म साक्षात्कार है

जीवन का सार, जो मुक्ति दे 

जीवन -मरण के चक्र से

ये द्योतक, ऐसी सीख दें

कुल के गौरव को। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational